Friday, October 22, 2021

 चाहत 

 कुछ हमने शाखाएं तोड़ी, 
थोड़े बहुत फूल चुने। 
बंद आँखों से अंधेरा समेटा,
टुकड़े, तारों पर सपनों के टाँगे। 
 आखिरी मूल्यांकन में,
हम खुद से कम मिले। 

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 चाहत