2020
नजर मे कुछ आता नहीं इसलिए नजरिया पेश करते है ।
Friday, October 22, 2021
चाहत
कुछ हमने शाखाएं तोड़ी,
थोड़े बहुत फूल चुने।
बंद आँखों से अंधेरा समेटा,
टुकड़े, तारों पर सपनों के टाँगे।
आखिरी मूल्यांकन में,
हम खुद से कम मिले।
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