Friday, June 12, 2020

हवाई बंटवारा 


इससे पहले की भेदभाव हो जाए तबाह,
और समानता का राज हो जाए। 
आओ हम बाँट दे हवा 
आब-ओ-हवा पक्षपाती  हो जाए ।

कुछ काली
कुछ गोरी हो जाए।
और सांवली-
सी समीर थोङी हो जाए।

 एक हो साक्षर वायु जो चले वेग से,
 उसके अलग एक समूह अनिल अनपढ़ हो जाए। 
बहे जो बादलों के पास वो समीर सरकारी 
जो रेंगे झुग्गी झोपड़ियों मे तो मारुत मुलजिम हो जाए। 

आधी अबला फिजा होगी,
बाकी पवन नर हो जाए।
अमुक बने  तिलकधारी हिन्दू ,
फलां फलां  मुसलमान हो जाए ।

नापा जाए  इक हिस्सा देसी हवा का
सीमा से परे सब परदेसी हो जाए।
हवा चले चाल इंसानों की,
बयार -ए- बंटवारा मे हर किसी का दम घुट जाए। 

 चाहत